रिपोर्ट: अमन सिंह | चितरंगी, जिला सिंगरौली
जनपद पंचायत चितरंगी के ग्राम पंचायत पिड़रिया में मनरेगा के तहत किए गए तालाब निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप सामने आए हैं। पंचायत के वार्ड क्रमांक 12 के पंच लाला सिंह द्वारा की गई शिकायत ने पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवालों की बौछार खड़ी कर दी है।
फर्जी श्रमिक दर्ज, जेसीबी से खुदाई — मनरेगा के उद्देश्य से धोखा
शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिस कार्य के लिए मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देना था, उसे जेसीबी और ट्रैक्टर से कराया गया, और उसके बाद कागज़ों में फर्जी श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज कर भुगतान निकाल लिया गया।
वर्क कोड का हवाला देते हुए कहा गया है कि श्रमिकों की वास्तविक हाज़िरी न होने के बावजूद मजदूरी बांट दी गई, जो मनरेगा नियमों और योजना की आत्मा—दोनों के विपरीत है।
सबसे बड़ा सवाल: शिकायतें अफ़सरों तक पहुंची, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं?
यह मामला केवल पंचायत स्तर पर ही नहीं रुका—
- शिकायत संभागीय कमिश्नर तक,
- कलेक्टर सिंगरौली,
- जिला पंचायत सीईओ,
- और जनपद सीईओ चितरंगी
तक पहुंच चुकी है।
फिर भी न तो जांच बैठी, न कोई नोटिस, न कोई कार्रवाई।
यही चुप्पी लोगों को सबसे ज़्यादा खटक रही है।
लोग सवाल उठा रहे हैं—
क्या कहीं न कहीं सिस्टम में बैठे लोग ही इस खेल के संरक्षक हैं?
पीसीओ की भूमिका पर भी सवाल — क्या शिकायतें दबाई जा रही हैं?
सूत्रों के अनुसार इस घोटाले में पीसीओ की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
यदि संबंधित अधिकारी शिकायतों को दबाने में लगे हैं, तो यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि
ग्रामीण श्रमिकों के अधिकारों की खुली लूट है।
तालाब ही नहीं—पुलिया निर्माण में भी फर्जीवाड़ा!?
पंच द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिया निर्माण कार्य में भी इसी तरह का
- जेसीबी से काम,
- फर्जी उपस्थिति,
- और सरकारी राशि का सीधा दुरुपयोग
किया गया है।
यदि यह सच है, तो यह न केवल वित्तीय कदाचार है, बल्कि योजना को कमज़ोर करने वाली व्यवस्थित लापरवाही भी है।
जनसुनवाई में फिर पहुंचे पीड़ित — क्या इस बार मिलेगी सुनवाई?
आज एक बार फिर शिकायतकर्ता कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुँचे हैं।
उम्मीद है कि इस बार
- जांच शुरू हो,
- दोषी चिन्हित हों,
- और कड़ी कार्रवाई हो।
पर बड़ा सवाल वही—
क्या इस बार कार्रवाई होगी या यह फाइल भी बाकी शिकायतों की तरह धूल खाती रह जाएगी?
मनरेगा ग्रामीण भारत की रीढ़—भ्रष्टाचार इसे खोखला कर रहा है
मनरेगा का उद्देश्य गरीब ग्रामीणों को सम्मानजनक मजदूरी और रोजगार प्रदान करना है।
यदि इसके नाम पर चोरी, फर्जीवाड़ा और फाइलों में निर्माण चलता रहा, तो इस योजना पर ग्रामीणों का विश्वास उठ जाएगा।
प्रशासन के लिए यह परीक्षा की घड़ी है।
अब निर्णायक कदम ही सिस्टम की साख बचा सकते हैं।



