| अमन सिंह
चितरंगी (जनपद)
ग्रामीण जीवन में सुविधा, स्वच्छता और सम्मान का प्रतीक बताई गई नल-जल योजना चितरंगी विकासखंड में अब भ्रष्टाचार, लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी का पर्याय बनती जा रही है। हालात यह हैं कि न घरों तक पानी पहुंच पाया और न ही गांवों की सड़कें बचीं। ग्रामीणों के हिस्से में सिर्फ गड्ढे, कीचड़ और रोज़मर्रा की परेशानियां आई हैं।
सड़कों की खुदाई, मरम्मत नदारद
पाइपलाइन बिछाने के नाम पर गांवों की सड़कों को बेरहमी से खोद दिया गया, लेकिन मरम्मत कराना ठेकेदारों ने ज़रूरी नहीं समझा।
- न समतलीकरण
- न रोलर
- न गुणवत्ता वाली भराई
परिणामस्वरूप सड़कें अब आवागमन का साधन नहीं, बल्कि हादसों का न्योता बन चुकी हैं। बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और दोपहिया वाहन चालक रोज़ जोखिम उठाने को मजबूर हैं।
तीन–चार साल बाद भी एक पंचायत पूरी नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चितरंगी ब्लॉक में यह योजना कोई नई नहीं है। तीन से चार वर्ष पहले शुरू हुई योजना आज तक एक भी पंचायत में पूरी नहीं हो सकी।
- कहीं पानी टंकियां अधूरी हैं
- कहीं पाइपलाइन बेतरतीब पड़ी है
- तो कहीं घर-घर नल कनेक्शन सिर्फ काग़ज़ों में दर्ज हैं
ज़मीन पर स्थिति शून्य है।
घटिया निर्माण और सांठगांठ के आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते घटिया सामग्री का खुलेआम इस्तेमाल किया गया। खुदाई के बाद सड़क पर मिट्टी फैला दी जाती है, लेकिन न मरम्मत होती है और न ही गुणवत्ता की जांच।
ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं—
क्या नियम-कानून सिर्फ आम जनता के लिए हैं?
ठेकेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
योजना या लूट का मॉडल?
चितरंगी में नल-जल योजना अब शुद्ध पेयजल योजना से भटककर ‘सड़क बर्बादी योजना’ बनती दिख रही है। जनता पूछ रही है—
- क्या दोषी ठेकेदारों पर ठोस कार्रवाई होगी?
- क्या जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी?
- या फिर योजनाएं यूं ही जनता की सहनशक्ति की परीक्षा लेती रहेंगी?
एसडीएम का बयान
इस पूरे मामले पर उपखंड अधिकारी (एसडीएम) ने कहा,
“शिकायतों की जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।”
अब देखना यह है कि यह बयान काग़ज़ों तक सीमित रहता है या ज़मीनी कार्रवाई में बदलता है।
ग्रामीणों की दो टूक
ग्रामीणों का साफ कहना है—
“जब तक सड़कें दुरुस्त नहीं होंगी और घरों तक पानी नहीं पहुंचेगा, तब तक नल-जल योजना हमारे लिए महज़ एक छलावा ही बनी रहेगी।”






