सिंगरौली। अमन सिंह
सिंगरौली जिले के चितरंगी में सिविल न्यायालय की स्थापना को लेकर चल रहा अधिवक्ता संघ का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन बुधवार को तीसरे दिन समाप्त हो गया। यह निर्णय राज्य मंत्री राधा सिंह के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप और ठोस आश्वासन के बाद लिया गया, जिन्होंने धरनास्थल पहुंचकर अधिवक्ताओं का मनोबल बढ़ाया और न्यायालय शीघ्र शुरू कराने का वादा किया।
मंत्री ने स्वीकारे क्षेत्र की समस्याएँ, दिया जल्द कार्रवाई का भरोसा
राज्य मंत्री राधा सिंह ने स्पष्ट कहा कि चितरंगी के हजारों लोगों को न्याय के लिए देवसर निर्भर रहना पड़ता है, जो उनकी प्राथमिक चिंता है। उन्होंने बताया कि वे पहले भी सिविल न्यायालय हेतु पत्र लिख चुकी हैं और अब स्वयं मुख्यमंत्री से इस विषय पर चर्चा कर निर्णायक कदम सुनिश्चित करेंगी।
मंत्री की इस स्पष्ट और जिम्मेदार प्रतिबद्धता ने अधिवक्ताओं में नई उम्मीद जगाई कि लंबे समय से लंबित यह मांग अब मूर्त रूप ले सकती है।
अधिवक्ता संघ ने जताया भरोसा, पर चेतावनी भी बरकरार
अधिवक्ता संघ चितरंगी के अध्यक्ष बी.पी. सिंह ने कहा कि मंत्री के सकारात्मक रुख और आश्वासन पर अनशन स्थगित किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने साफ संकेत दिया कि यदि दो से तीन महीने के भीतर सिविल न्यायालय शुरू नहीं किया गया तो आंदोलन फिर से उसी दृढ़ता के साथ शुरू किया जाएगा।
संपादकीय दृष्टि
चितरंगी में सिविल न्यायालय की मांग कोई तात्कालिक आवेश नहीं, बल्कि वर्षों की उपेक्षा और कठिनाइयों का परिणाम है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए न्याय तक पहुँच आसान और सुलभ हो—यह शासन की मूल जिम्मेदारी है। राज्य मंत्री का हस्तक्षेप स्वागतयोग्य है, लेकिन अब असली कसौटी सरकारी प्रतिबद्धता को समयसीमा में पूरा करना होगी।
अधिवक्ताओं की एकजुटता और जनता की अपेक्षाओं के बीच, यह आवश्यक है कि सरकार इस वाजिब मांग को टालने के बजाय प्राथमिकता दे। चितरंगी को न्याय के रास्ते में अब और विलंब बर्दाश्त नहीं।






