चितरंगी में रविवार को उस वक्त प्रशासनिक तंत्र की पोल खुल गई, जब एसडीएम कार्यालय के ठीक सामने लाले साहू की दुकान में भीषण आग लग गई और देखते-देखते दुकान जलकर खाक हो गई। हैरानी की बात यह रही कि जिस जगह यह हादसा हुआ, वह न केवल एसडीएम मुख्यालय है बल्कि राज्य मंत्री राधा सिंह का गृह क्षेत्र भी—फिर भी राहत व्यवस्था पूरी तरह नदारद नजर आई।
आग लगते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई। दुकान से उठती लपटें और धुएं का गुबार प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल बनकर खड़ा रहा। दमकल विभाग को सूचना दी गई, लेकिन फायर ब्रिगेड काफी देर से मौके पर पहुंची, जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने उसे उल्टे पैर लौटा दिया। तब तक आग पर काबू पाने का काम ग्रामीणों ने अपने संसाधनों और साहस के बल पर किया घटना के बाद माहौल पूरी तरह गरमा गया।
पूर्व विधायक सरस्वती सिंह स्वयं मौके पर पहुंचीं और उन्होंने प्रशासन के साथ-साथ राज्य मंत्री राधा सिंह पर सीधा सियासी प्रहार किया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा—
“यह मंत्री का गृह ग्राम है, एसडीएम मुख्यालय है, फिर भी यहां न फायर ब्रिगेड है, न शव वाहन। आखिर सरकार किस व्यवस्था का दावा करती है?”
ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। “प्रशासन मुर्दाबाद”, “सिस्टम जवाब दो” जैसे नारों से इलाका गूंज उठा लोगों का कहना था कि यदि आग किसी रिहायशी मकान या पेट्रोल पंप तक पहुंच जाती, तो बड़ी जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता था सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब साहब का दफ्तर सामने था, तब भी दुकान जलती रही और सिस्टम तमाशबीन बना रहा। यह घटना केवल एक दुकान के जलने की नहीं, बल्कि व्यवस्था की जलती सच्चाई है।
अंधेर नगरी, चौपट राजा—चितरंगी में यह कहावत सजीव हो उठी, जहां सत्ता और प्रशासन की नाक के नीचे एक गरीब की रोज़ी-रोटी जल गई और जिम्मेदारियां धुएं में उड़ती रहीं।





