रीवा।
रीवा शहर की सड़कों पर इन दिनों जो कुछ दिख रहा है, वह केवल अव्यवस्थित यातायात नहीं बल्कि एक संभावित खतरे की साफ झलक है। ई-रिक्शा, जो कभी शहरवासियों के लिए सस्ता और सुविधाजनक साधन माने जाते थे, अब अनियंत्रित संचालन के कारण गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालिया वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कई ई-रिक्शा निर्धारित क्षमता से कई गुना अधिक वजन और सवारियां लेकर सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं।
सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि इन्हीं ई-रिक्शाओं में स्कूली बच्चों को भी बैठाया जा रहा है, वह भी बिना किसी सुरक्षा मानक के। सवाल उठता है कि क्या यह सब किसी अनहोनी के इंतज़ार में हो रहा है?
हर सड़क पर वही तस्वीर
रेलवे स्टेशन रोड, पुराना बस स्टैंड, अस्पताल मार्ग, मुख्य बाजार—शहर का शायद ही कोई ऐसा प्रमुख मार्ग हो जहां ई-रिक्शाओं की बेतहाशा भीड़ न दिखती हो। कई स्थानों पर एक ही जगह दर्जनों ई-रिक्शा खड़े मिल जाते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है और जाम की स्थिति आम हो चुकी है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सुबह और शाम के समय हालात और भी भयावह हो जाते हैं। ओवरलोड ई-रिक्शा अचानक ब्रेक, तेज मोड़ और गलत दिशा में चलते नजर आते हैं, जिससे हर गुजरने वाला खुद को असुरक्षित महसूस करता है।
नियम मौजूद, पालन नदारद
परिवहन नियमों में ई-रिक्शा की क्षमता, रूट और पार्किंग को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
सवाल यह है कि—
शहर में आवश्यकता से अधिक ई-रिक्शा कैसे पंजीकृत हो गए?
ओवरलोडिंग खुलेआम होने के बावजूद नियमित निगरानी क्यों नजर नहीं आती?
क्या चालकों के लाइसेंस और प्रशिक्षण का सत्यापन समय-समय पर किया जा रहा है?
दिखावटी कार्रवाई या स्थायी समाधान?
कभी-कभार अभियान जरूर दिखाई देते हैं, लेकिन उनका असर सड़कों पर स्थायी रूप से नजर नहीं आता। कुछ दिनों की सख्ती के बाद हालात फिर पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं।
शहरवासियों का मानना है कि समस्या का समाधान अस्थायी चालानों से नहीं, बल्कि ठोस नीति और निरंतर निगरानी से ही संभव है।
बड़े हादसे से पहले चेतावनी
अक्सर देखा गया है कि प्रशासनिक मशीनरी बड़े हादसे के बाद ही पूरी तरह सक्रिय होती है। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या किसी मासूम की जान जाने के बाद ही नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा?
यह रिपोर्ट किसी एक व्यक्ति या विभाग को कटघरे में खड़ा करने के लिए नहीं, बल्कि समय रहते चेताने के उद्देश्य से है।
विशेषज्ञों और नागरिकों की राय है कि यदि—
ई-रिक्शा की संख्या पर संतुलन, ओवरलोडिंग पर कड़ी और निरंतर निगरानी, रूट निर्धारण व पार्किंग की स्पष्ट व्यवस्था तथा नियमों का समान और निष्पक्ष पालन अभी से सुनिश्चित किया जाए, तो रीवा की सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
अगर आज भी इस चेतावनी को नजरअंदाज किया गया, तो कल इसकी जिम्मेदारी तय करना आसान नहीं होगा।






