अनिल कुशवाहा। विशेष रिपोर्ट
मुरैना जिले के पहाड़गढ़ विकासखंड स्थित एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय का कथित आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने तत्काल सख्त कार्रवाई की है। वीडियो में विद्यालय परिसर में एक शिक्षक को रसोइया महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा जा सकता है, जबकि एक अन्य रसोइया पास में खड़ी नजर आती है। इस घटनाक्रम ने स्थानीय स्तर पर स्कूल अनुशासन और सरकारी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तुरंत प्रभाव से निलंबन—प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए शिक्षक
जारी आदेश क्रमांक शिका/निलं./2025/92.174 दिनांक 01.12.2025 के आधार पर शासकीय प्राथमिक विद्यालय निगारा में पदस्थ प्राथमिक शिक्षक अशोक कुमार शर्मा को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 7 के तहत निलंबित किया गया है। आदेश में उल्लेख है कि वायरल वीडियो में दिखाई देने वाला शिक्षक का कृत्य एक शासकीय सेवक के लिए पूर्णतः अनुचित और अशोभनीय आचरण की श्रेणी में आता है। यह कृत्य न केवल सरकारी आचरण नियमों के विपरीत है, बल्कि इसे “कदाचार” की स्पष्ट परिभाषा में रखा गया है। निलंबन अवधि के दौरान शिक्षक का मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना का कार्यालय निर्धारित किया गया है तथा उन्हें निर्धारित नियमों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त होगा। पूरा आदेश जिला कलेक्टर द्वारा अनुमोदित किया गया है।
स्थानीय आक्रोश—विद्यालय अनुशासन पर सवाल
मामले के सामने आते ही अभिभावकों और ग्रामीणों में रोष फैल गया। लोगों का कहना है कि विद्यालय बच्चों की शिक्षा, संस्कार और सुरक्षा का स्थान है, ऐसे में स्कूल परिसर में इस तरह की गतिविधियाँ शिक्षा व्यवस्था के लिए बेहद शर्मनाक और चिंताजनक हैं।
शिक्षा विभाग आगे भी सख्त कार्रवाई के संकेत में
विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले पर विस्तृत जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की जा सकती है। इसके अलावा स्कूलों की नियमित मॉनिटरिंग बढ़ाने और गांव स्तर पर निरीक्षण व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी भी की जा रही है।
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विशेष टिप्पणी
शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में ऐसी घटनाएँ सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर प्रश्नचिह्न हैं। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इससे भी अधिक आवश्यक है कि स्कूलों में अनुशासन और मर्यादा की रक्षा के लिए कठोर और सतत निगरानी तंत्र विकसित किया जाए। दोष सिद्ध होने पर कड़ी कार्रवाई ही भविष्य में ऐसे मामलों पर रोक लगा सकती है।






